अमेरिका द्वारा 2 अप्रैल को घोषित नई टैरिफ नीति ने वैश्विक बाजारों में हलचल मचा दी है। इसकी वजह से वॉल स्ट्रीट में 2.5 ट्रिलियन डॉलर पूंजी का सफाया हो चुका है। टॉप अरबपतियों की पूंजी में 208 अरब डॉलर की गिरावट आई है। यह कोविड-19 क्रैश के बाद अब तक की सबसे बड़ी एकदिनी गिरावट रही और ब्लूमबर्ग बिलियनेयर्स इंडेक्स के 13 सालों के इतिहास में चौथी सबसे बड़ी गिरावट रही।
60 से अधिक देशों पर लगाए गए रेसीप्रोकाल टैरिफ की वजह से सबसे ज्यादा हानि मेटा के सीईओ मार्क जुकरबर्ग और अमेजन के संस्थापक जेफ बेजोस को हुई है। मार्क जुकरबर्ग की पूंजी में 17.9 अरब डॉलर की गिरावट आई है। मेटा के शेयर 9 फीसदी गिर गए। अमेजन के शेयरों में 9 फीसदी की गिरावट आई। बेजोस को 15.9 अरब डॉलर का घाटा हुआ। एलन मस्क की पूंजी में भी 11 अरब डॉलर की गिरावट आई। एलन मस्क की वित्तीय परेशानियों का एक कारण उनकी डीओजीई में भूमिका रही है, जिसकी वजह से सरकार के खर्च में 1 ट्रिलियन डॉलर की कटौती हुई है।
ट्रंप ने जब यूरोपीय संघ से आयातित सभी वस्तुओं पर 20 फीसदी टैरिफ लगाया, तो इसका प्रभाव फ्रांस के अरबपति बर्नार्ड अरनॉल्ट पर भी पड़ा। अरनॉल्ट की पूंजी में 6 अरब डॉलर की गिरावट देखने को मिली। निवेशक वॉरेन बफेट ने खुद को इसके प्रभावों से काफी हद तक सुरक्षित रखा। हालांकि, उन्हें भी 2.57 अरब डॉलर का नुकसान हुआ है। उनकी कुल कमाई अब भी 23.4 अरब डॉलर के स्तर पर है।
टैरिफ से क्रूड की कीमतों को भी झटका लगाा है। ओपेक प्लस की उत्पादन वृद्धि और ग्लोबल ट्रेड वॉर की आशंकाओं की वजह से कच्चा तेल 4 साल के निचले स्तर पर आ गया। इसने धातु बाजारों से लेकर गैस तक, कमोडिटी बाजारों को हिलाकर रख दिया है। टैरिफ की घोषणा के बाद तेल की कीमतों में गिरावट आई है। आर्थिक विकास और खपत दानों को खतरा पैदा हो गया है। कुछ घंटों के बाद ओपेक प्लस ने मई के लिए उत्पादन वृद्धि कर दी। ओपेक प्लस ने मई से प्रतिदिन 4.11 मिलियन बैरल उत्पादन वृद्धि की घोषणा की है। इसके बाद शुक्रवार को चीन ने 10 अप्रैल से अमेरिकी सामानों पर 34 फीसदी टैरिफ लगाएगा। अमेरिका ने चीन पर 34 फीसदी रेसीप्रोकल टैरिफ लागू किया है।